जबलपुर। शहर के खंदारी जलाशय का का मशहूर 16 फीट लंबा और लगभग 200 किलो वजनी मगरमच्छ ‘राजा’ अब नहीं रहा। शुक्रवार देर रात उसकी मौत हो गई, जिसके बाद शनिवार को वन विभाग की टीम ने मौके पर ही उसका पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार कर दिया। राजा को खंदारी जलाशय का संरक्षक और आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता था।शनिवार सुबह जलाशय की निगरानी में तैनात कर्मचारी की नजर पानी की सतह पर उतराते हुए मगरमच्छ पर पड़ी। उसने तुरंत वन विभाग को सूचना दी। डीएफओ, रेंजर और वेटनरी टीम दोपहर में मौके पर पहुंची। भारी प्रयास के बाद मृत मगरमच्छ को किनारे लाया गया, वहीं वैज्ञानिक तरीके से पोस्टमार्टम किया गया। अधिकारियों के मुताबिक उसकी उम्र लगभग 70 वर्ष थी, और संभवत: वह मध्यप्रदेश का सबसे बुजुर्ग मगरमच्छ था।
तलाश रहे थे सुरक्षा गार्ड
स्थानीय लोगों के बीच राजा की लोकप्रियता किसी स्टार से कम नहीं थी। डुमना नेचर पार्क में टहलने आए लोगों को उसे देखने की लालसा रहती थी। वह अक्सर उन्हीं स्थानों पर दिखता था, जहाँ लोग मौजूद रहते थे। वन विभाग के अनुसार पिछले एक सप्ताह से राजा दिखाई नहीं दे रहा था। सुरक्षा गार्ड लगातार तलाश कर रहे थे। शुक्रवार की शाम गश्त के दौरान किनारे उसका शव उतरा हुआ मिला, जिसके बाद उसकी पहचान की गई।खंदारी जलाशय का इतिहास भी इसी से जुड़ा है। 1883 में अंग्रेजों के समय बना यह जलाशय कभी वन विभाग के नियंत्रण में था, लेकिन बाद में नगर निगम के अधीन जाकर डुमना नेचर पार्क का हिस्सा बन गया। यहां प्रतिदिन सैकड़ों पर्यटक और प्रकृति प्रेमी आते हैं और अधिकांश को राजा के दर्शन अवश्य हो जाते थे।
-पीएम रिपोर्ट में क्या मिला
एसडीओ आरके सोलंकी के अनुसार मौत का वास्तविक कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्पष्ट होगा, हालांकि प्रारंभिक रूप से यह उम्रदराज होने का मामला प्रतीत होता है। राजा का अंतिम संस्कार खंदारी जलाशय के किनारे ही वन कर्मचारियों की मौजूदगी में किया गया।जबलपुर ने अपने जलाशय के ‘राजा’ को खो दिया है, जिसकी उपस्थिति कई पीढ़ियों के लिए रोमांच और आकर्षण का कारण रही।
