पुलिस की अधूरी जानकारी पर हाईकोर्ट सख्त, DGP को दिए कड़े निर्देश



 जबलपुर। हाईकोर्ट ने एक मामले में बैतूल पुलिस द्वारा अधूरी जानकारी प्रस्तुत किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है। जस्टिस अवनीन्द्र कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने स्पष्ट कहा कि राज्य के सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया जाए कि जब भी कोर्ट किसी आरोपी या मामले से संबंधित जानकारी मांगे, तो विभाग संपूर्ण विवरण उपलब्ध कराए। अदालत ने इसे पुलिस की गंभीर लापरवाही मानते हुए डीजीपी से इसे तत्काल सुधारने के निर्देश दिए। मामला बैतूल जिले के आमला में रहने वाले बिजय अतुलकर की पुनरीक्षण याचिका से जुड़ा है। बिजय को आबकारी एक्ट में दोषी मानते हुए सीजेएम कोर्ट ने 3 अगस्त 2024 को एक साल की सजा और 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ दायर अपील 19 जून 2025 को खारिज होने पर उन्होंने हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की।

-क्या मांगा था कोर्ट ने, क्या भेजा

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता शुभम् कुमार मिश्रा ने बताया कि पुलिस द्वारा आरोपी के आपराधिक रिकॉर्ड संबंधी कई सूचनाएँ अधूरी दी गईं, जबकि अदालत ने पूर्व में ही विस्तृत विवरण मंगाया था। हाईकोर्ट ने पाया कि बैतूल थाने के टीआई ने भी मामले में महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रस्तुत नहीं कीं, जिससे पुनरीक्षण आवेदन के निर्णय में कठिनाई उत्पन्न हुई। अदालत ने कहा कि जब पुलिस प्रणाली ही अधूरी रिपोर्ट सौंपेगी, तो न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होना स्वाभाविक है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपी के खिलाफ आबकारी एक्ट के अतिरिक्त अन्य आपराधिक मामलों की जानकारी पुलिस ने नहीं दी, जबकि यह रिकॉर्ड उपलब्ध था। इस लापरवाही को गंभीर मानते हुए हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत का लाभ प्रदान किया और डीजीपी को निर्देश दिया कि सभी जिलों के एसपी को सख्त आदेश जारी करें कि भविष्य में किसी भी कोर्ट को अधूरी जानकारी न भेजी जाए।

आरोपी को जमानत का लाभ

अदालत ने माना कि पुलिस द्वारा दिए गए अपूर्ण विवरण से सुनवाई प्रभावित हुई। जज ने टिप्पणी की कि यह पुलिस प्रशासन की गंभीर कमी है और इसे तत्काल सुधारा जाना चाहिए। अधूरी जानकारी के कारण मामले की पूरी तस्वीर सामने नहीं आ पाई, जिसके चलते आरोपी को जमानत का लाभ दिया गया। अदालत ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता के लिए पुलिस का सटीक और पूर्ण इनपुट अनिवार्य है।

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