जबलपुर। जिले में इस वर्ष धान खरीदी शुरू होने से पहले ही भंडारण को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। निजी वेयरहाउस संचालकों ने साफ चेतावनी दी है कि तीन साल से लंबित किराया भुगतान होने तक वे न तो धान भंडारण की अनुमति देंगे और न ही वेयरहाउस को खरीदी केंद्र के रूप में उपलब्ध कराएंगे। सूत्रों के अनुसार जिले के वेयरहाउस संचालकों का करीब 450 करोड़ रुपये किराया बकाया है। लगातार भुगतान न होने से कई संचालक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। कुछ संचालक बैंक लोन न चुका पाने के कारण ब्लैकलिस्ट तक हो चुके हैं। जिले के 462 निजी वेयरहाउस में से आधे से अधिक क्षमता खाली होने के बावजूद उपयोग नहीं किए जा रहे हैं। धान खरीदी का लक्ष्य इस वर्ष 1 लाख मीट्रिक टन रखा गया है और 56 हजार किसान पंजीकृत हैं। ऐसे में यदि भंडारण व्यवस्था बाधित हुई तो खरीदी प्रक्रिया पर बड़ा असर पड़ेगा और किसानों को भारी परेशानी उठाना पड़ सकती है।संचालकों का कहना है कि बिजली, सुरक्षा, रखरखाव और कर्मचारियों के वेतन सभी बकाया चल रहे हैं। ऐसे में वे अपनी जेब से खर्च कर खरीदी प्रक्रिया नहीं चला सकते।वेयरहाउस संचालकों के इस रुख के बाद प्रशासन ने भी कड़ा रुख अपनाया है। अधिकारियों ने कहा है कि यदि खरीदी प्रभावित हुई तो आवश्यकतानुसार वेयरहाउस अधिग्रहित किए जा सकते हैं। 1 दिसंबर से खरीदी शुरू होने की उम्मीद है, लेकिन विवाद के चलते किसान स्थिति को लेकर चिंतित हैं
-भंडारण संकट क्यों गहराया
3 साल से लगभग 450 करोड़ रुपये किराया बकाया
कई संचालक लोन न चुका पाने से ब्लैकलिस्ट
बिजली–सुरक्षा–रखरखाव के भुगतान बकाया
क्षमता होने के बावजूद वेयरहाउस खाली
बिना भुगतान सुविधाएँ उपलब्ध कराने से संचालकों ने किया इंकार
स्थिति का असर और प्रशासन की चेतावनी
1 लाख मीट्रिक टन खरीदी लक्ष्य प्रभावित हो सकता है
56 हजार किसानों पर संकट का असर
खरीदी केंद्र तय नहीं हो पाए तो प्रक्रिया अटक जाएगी
प्रशासन की चेतावनी—जरूरत पड़ी तो वेयरहाउस का अधिग्रहण
किसान खरीदी शुरू होने से पहले समाधान की उम्मीद में