जबलपुर। जिला अस्पताल विक्टोरिया में मरीजों की सुरक्षा व्यवस्था गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय मिश्रा के औचक निरीक्षण में अस्पताल के भीतर चल रहे एक बड़े ‘गार्ड घोटाले’ का खुलासा हुआ है। सरकारी खजाने से 14 सुरक्षाकर्मियों का भुगतान लिया जा रहा था, जबकि मौके पर सुरक्षा की जिम्मेदारी केवल दो गार्डों के भरोसे मिली। इस खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप है और ठेकेदार पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है।
गार्ड के बयान से खुली सच्चाई
निरीक्षण के दौरान सीएमएचओ ने जब तैनात गार्ड से सवाल किया, तो उसने कैमरे और अधिकारियों के सामने साफ स्वीकार किया—“साहब, अभी हम सिर्फ दो ही लोग ड्यूटी पर हैं।” नियमों के अनुसार अस्पताल के हर हिस्से में 14 गार्डों की तैनाती अनिवार्य है। इसके बावजूद हर माह लाखों रुपये के बिल पास होना, और मौके पर तैनाती न होना—सीधे तौर पर फर्जी हाजिरी और भुगतान की ओर इशारा करता है। ड्यूटी रोस्टर और वास्तविक स्थिति में भारी अंतर पाया गया।
प्रबंधन की भूमिका भी संदेह के घेरे में
निरीक्षण के समय अस्पताल प्रबंधक अरुण शाह ने गलती स्वीकारने के बजाय ठेकेदार का बचाव करने की कोशिश की, जिसे अधिकारियों ने तुरंत भांप लिया। इसी दौरान अस्पताल के वॉशरूम्स की बदहाल स्थिति भी सामने आई—अक्टूबर 2025 से सफाई की चेकलिस्ट तक अपडेट नहीं मिली। निरीक्षण टीम में शामिल डॉ. संजय जैन ने इसे मरीजों की सुरक्षा और अस्पताल संपत्ति के साथ गंभीर खिलवाड़ बताया।
ठेकेदार को नोटिस, टेंडर निरस्तीकरण की तैयारी
सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा ने मामले को अत्यंत गंभीर मानते हुए ठेकेदार कंपनी को नोटिस जारी कर दिया है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, टेंडर निरस्त करने, भुगतान वसूली और जिम्मेदारों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग का स्पष्ट संदेश है—मरीजों की सुरक्षा से समझौता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
