महंगी बिजली की तैयारी: कंपनियां उपभोक्ताओं से वसूलेंगी 42 हजार करोड़ का घाटा



जबलपुर। मप्र की विद्युत वितरण कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए 10 प्रतिशत से अधिक बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव नियामक आयोग के सामने प्रस्तुत किया है। सीधे-सीधे 10 प्रतिशत रेट बढ़ाए जाने की मंशा से उपभोक्ताओं में आक्रोश पनप रहा है और जगह-जगह विरोध की तैयारी भी शुरु हो गई है।

उपभोक्ताओं का कहना है वितरण कंपनियां पूरा का पूरा घाटा (पूर्व क्षेत्र 11,019, मध्य क्षेत्र 11,286, पश्चिम क्षेत्र 19,892 कुल 42 हजार करोड़) ईमानदार उपभोक्ताओं की जेब से ही कवर करने पर उतारु हैं। बता दें कि पिछले वित्तीय वर्ष में भी कंपनियों ने 7.25 प्रतिशत बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव दिया था।

इस अनाप-शनान बढ़ोत्तरी के विरोध में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच आज दोपहर घंटाघर में प्रदर्शन किया। मंच के पदाधिकारियों का कहना है कि वितरण कंपनियां मनमानी पर उतारु हैं। इसलिए हर वर्ष दर बढ़ाने के प्रतिशत में बढ़ोत्तरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि वितरण कंपनियों पर न तो नियामक आयोग का कोई अंकुश रह गया है और सरकार भी जनहित में बहुत ज्यादा हस्तक्षेप नहीं कर रही है, जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।

बिजली की दरें बढ़ाने के विरोध में याचिका लगाने वाले अधिकांश संगठनों का कहना है कि नियामक आयोग के समक्ष होने वाली जनसुनवाई औपचारिकता बन गई है। कोविड के बाद वर्चुअल सुनवाई का कोई औचित्य ही नहीं है। कोविड के बाद स्थिति सामान्य होने के बाद सुनवाई को फिर से तरंग में शुरु कराना चाहिए था लेकिन जिम्मेदारों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।

Post a Comment

Previous Post Next Post