सीजीएसटी रिश्वत कांड: बिल्डर–होटल कारोबारियों की लिस्ट बरामद, सीबीआई की पूछताछ में खुले बड़े राज

 


जबलपुर। सीजीएसटी विभाग में सामने आए बहुचर्चित रिश्वतखोरी कांड ने शहर के व्यापारिक गलियारों में खलबली मचा दी है। सीबीआई की गिरफ्त में आए निरीक्षक सचिन खरे और सहायक आयुक्त विवेक वर्मा से पूछताछ के दौरान ऐसे खुलासे हुए हैं, जिनसे यह मामला एक संगठित वसूली नेटवर्क की शक्ल लेता दिख रहा है। जांच एजेंसी को आरोपियों के पास से एक सूची मिली है, जिसमें शहर के कई बड़े बिल्डर, होटल संचालक और रियल एस्टेट कारोबारियों के नाम दर्ज बताए जा रहे हैं।

भ्रष्टाचार का नेटवर्कतार कहाँ-कहाँ?
सीबीआई की शुरुआती पड़ताल में संकेत मिले हैं कि यह कोई एक-दो लेन-देन का मामला नहीं, बल्कि सुनियोजित वसूली का ढांचा था। सूत्रों के मुताबिक, उन कारोबारियों की पहचान कर सूची तैयार की गई थी जिनका जीएसटी बकाया था या जिनके रिटर्न में तकनीकी खामियां थीं। इन्हें रिकवरी और पेनल्टी का डर दिखाकर मोटी रकम वसूली जाती थी। जांच टीम अब यह खंगाल रही है कि सूची में शामिल किन लोगों से रकम ली गई और किन पर दबाव बनाया जा रहा था। जानबूझकर पेंडिंग रखी गई फाइलों की भी जांच हो रही है, ताकि ‘समझौते’ की गुंजाइश कैसे बनाई गईयह स्पष्ट हो सके।

होटल व्यवसायी की शिकायत से खुला राज
इस सिंडिकेट का पर्दाफाश तब हुआ जब सतपुड़ा इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक और चार होटलों के संचालक विवेक त्रिपाठी ने सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई। आरोप है कि उनके होटल ‘सुकून सिटी व्यू’ के मामले को रफा-दफा करने के बदले 4 लाख रुपये मांगे गए। सत्यापन में सामने आया कि निरीक्षक सचिन खरे ने न केवल रिश्वत की मांग की, बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों से सांठगांठ का भरोसा भी दिलाया। दबिश के दौरान रिश्वत के लेन-देन के ठोस साक्ष्य मिलने के बाद अब बैंक स्टेटमेंट्स और डिजिटल रिकॉर्ड्स की गहन जांच की जा रही है, ताकि काली कमाई के निवेश का पता चल सके।

आगे की कार्रवाईकिसे बुलाया जाएगा?
कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 22 दिसंबर तक सीबीआई रिमांड पर भेज दिया है। बंद कमरे में हो रही लंबी पूछताछ के बीच जांच का दायरा विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों तक बढ़ सकता है। माना जा रहा है कि इतनी बड़ी वसूली उच्चस्तरीय संरक्षण के बिना संभव नहीं। आने वाले दिनों में सूची में शामिल कुछ बड़े कारोबारियों को भी पूछताछ के लिए तलब किया जा सकता है। सीबीआई यह भी जांच कर रही है कि क्या आरोपियों ने बेनामी संपत्तियां अर्जित की हैंजिससे विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें और गहरी होने की आशंका बलवती होती जा रही है।

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