तीन दिन पहले सोशल मीडिया पर प्रसारित खबरों को संज्ञान में लेते हुए कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए थे। इसके बाद एसडीएम कुंडम प्रगति गणवीर के नेतृत्व में जांच कर रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी गई।
खुद शिकायतकर्ता नहीं पहचान सकी आरोपी
जांच के दौरान बेलबाई बैगा न तो यह बता सकी कि उससे किसने रिश्वत मांगी और न ही यह स्पष्ट कर पाई कि उसने किसे पैसे दिए। जिन अधिकारियों और कर्मचारियों पर आरोप लगाए गए थे, उनकी फोटो भी वह पहचान नहीं सकी। पहचान न कर पाने का कारण उसने कमजोर नजर बताया।
इतना ही नहीं, बेलबाई के पुत्र राजेन्द्र प्रसाद बैगा ने भी स्पष्ट कहा कि दिखाए गए किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को उनके द्वारा कोई राशि नहीं दी गई।
2021 में हो चुका था फौती नामांतरण
जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि ग्राम टिकरिया में बेलबाई के पति जंगलिया बैगा के नाम दर्ज 0.18 हेक्टेयर भूमि का फौती नामांतरण वर्ष 2021 में ही पूर्ण हो चुका है, जिसकी जानकारी बेलबाई और उनके पुत्र दोनों को थी।
बेलबाई ने अपने बयान में स्वीकार किया कि नामांतरण न होने की शिकायत उसने लाल सिंह बघेल नामक व्यक्ति के कहने पर की थी। शिकायत में क्या लिखा गया है, इसकी जानकारी उसे नहीं थी और उसने केवल अंगूठा लगाया था।
नारायणपुर भूमि पर नहीं दिया गया कोई आवेदन
एसडीएम प्रगति गणवीर ने बताया कि जंगलिया बैगा के नाम ग्राम नारायणपुर में 0.90 हेक्टेयर भूमि भी दर्ज है, लेकिन इस भूमि के फौती नामांतरण के लिए बेलबाई द्वारा आज तक कोई आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया। जांच के दौरान इस तथ्य को उसने स्वयं स्वीकार किया।
वन विभाग की जांच में भी आरोप गलत
नारायणपुर की भूमि को लेकर पेड़ कटाई के आरोपों की भी जांच की गई। वन विभाग के अनुसार मई 2020 में सतकठा प्रजाति के पेड़ों के विदोहन के बाद टीपी (ट्रांजिट परमिट) के लिए आवेदन किया गया था, लेकिन पति की मृत्यु के बाद संशोधित आदेश प्रस्तुत नहीं किए जाने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। वर्तमान में भूमि पर 42 सागौन और 5 सतकठा प्रजाति के पेड़ सुरक्षित पाए गए।
पटवारी को कारण बताओ नोटिस
हालांकि, शिकायत के एक अन्य पहलू पर प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। नारायणपुर के तत्कालीन पटवारी पियूषकांत विश्वकर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। नोटिस इस बात पर दिया गया कि वर्ष 2019 में जंगलिया बैगा की मृत्यु के बावजूद पटवारी को इसकी जानकारी क्यों नहीं हुई, जबकि ग्राम सभाओं में नियमित रूप से बी-1 का वाचन किया जाता है।
पटवारी को तीन दिन में जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं, संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
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