धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से तुलसी को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। इसलिए, प्रत्येक हिंदू घरों में लोग अपनी दिन की शुरुआत इस पवित्र पौधे को जल चढ़ाकर और दीप जलाकर करते है। तुलसी के महत्व को समझने के लिए हर साल 25 दिसंबर यानी क्रिसमस के दिन तुलसी दिवस मनाया जाता है।
हिन्दू लोक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन तुलसी के पौधे की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी के पौधे में साक्षात देवी लक्ष्मी का वास होता है, और इसकी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मकता आती है।
दिसंबर में कब है तुलसी पूजन दिवस?
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, तुलसी पूजन दिवस हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। यह शुभ दिन पौष मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को समर्पित होता है। शीत ऋतु में तुलसी के विशेष धार्मिक और स्वास्थ्य संबंधी महत्व को देखते हुए यह उत्सव और भी खास हो जाता है।
सनातन धर्म में तुलसी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
तुलसी को हिंदू धर्म में “वृंदा” के नाम से भी जाना जाता है और इसे पवित्रता व सौभाग्य का प्रतीक भी माना गया है। शास्त्रों में बताया गया हैं कि, जहां तुलसी का पौधा होता है, वहां सकारात्मक ऊर्जा, सुख-शांति और लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है। इसके अलावा, यह भगवान विष्णु का प्रिय पौधा भी है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु की पूजा तुलसी के बिना अधूरी मानी जाती है।
तुलसी वातावरण को शुद्ध करती है और यह घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करती है। यह पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण खांसी, सर्दी, बुखार और कई रोगों के लिए लाभकारी भी मानी गई है।
कैसे करें तुलसी पूजन पर पूजाइस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
फिर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
घर व मंदिर को फूलों और रंगोली से सजाया जाता है।
तुलसी माता को जल अर्पित कर कुमकुम लगाएं।
तुलसी का 16 शृंगार करें।
लाल चुनरी, फूल, माला, फल, धूप, दीप, मिठाई और शृंगार सामग्री अर्पित करें।
विष्णु-तुलसी मंत्रों का जाप करें और आरती करें।
पूजा में हुई भूलों के लिए क्षमा मांगें और प्रसाद का वितरण करें।
व्रत रखने वाले भक्त दिनभर सात्विक भोजन ही ग्रहण करते हैं और तामसिक वस्तुओं से दूर रहते हैं।
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