ई-अटेंडेंस एप पर विवाद तेज: शिक्षकों के बैंक खातों से ऑनलाइन ठगी, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब



जबलपुर। मध्यप्रदेश में शिक्षकों की ई-अटेंडेंस प्रणाली एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। इस मुद्दे पर दायर याचिका पर हाईकोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई, जहाँ याचिकाकर्ता शिक्षकों ने संशोधन आवेदन प्रस्तुत करते हुए ऐप की साइबर सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए।

शिक्षकों का आरोप है कि ई-अटेंडेंस एप डाउनलोड करने के बाद कई शिक्षकों के मोबाइल में संदिग्ध गतिविधियाँ दर्ज हुईं और 5–6 शिक्षकों के बैंक खातों से ऑनलाइन ठगी के मामले सामने आए। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि ये घटनाएँ ऐप इंस्टॉल करने के बाद ही शुरू हुईं, जिससे सुरक्षा पर संदेह और गहरा गया है।
एप असुरक्षित, प्राइवेसी पर भी सवाल

याचिका में कहा गया है कि ई-अटेंडेंस एप न तो मानक साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करता है और न ही किसी अधिकृत सरकारी पोर्टल से लिंक है। शिक्षकों ने बताया कि ऐप इंस्टॉल करने के बाद उनके मोबाइल में संदिग्ध लिंक, ओटीपी अनुरोध और अनधिकृत लॉगिन नोटिफिकेशन आने लगे।

डीपीआई (लोक शिक्षण संचालनालय) ने भी इन साइबर फ्रॉड शिकायतों पर संज्ञान लिया है और संबंधित रिपोर्ट तलब की है। हालांकि, राज्य सरकार की ओर से अभी तक ऐप की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस जानकारी कोर्ट में पेश नहीं की गई है।
शुरुआत से ही विरोध में शिक्षक

राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों में उपस्थिति दर्ज करने के लिए ई-अटेंडेंस एप को अनिवार्य किया था, लेकिन आरंभ से ही शिक्षक संघ इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐप बार-बार क्रैश होता है, लोकेशन फेल हो जाती है और इससे शिक्षकों को रोजाना तकनीकी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

हाईकोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए सरकार से दो दिनों में जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई 1 दिसंबर (सोमवार) को होगी।
शिक्षकों की मांग है कि ऐप की साइबर सुरक्षा की पूर्ण पुष्टि होने तक ई-अटेंडेंस प्रणाली को अस्थायी रूप से रोका जाए।

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