जबलपुर। जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा संचालित स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दौरान साइबर अपराधियों की सक्रियता बढ़ने लगी है। साइबर पुलिस के अनुसार, ठग एसआईआर अपडेट कराने के नाम पर नई-नई तरकीबें अपनाकर लोगों से निजी जानकारी, आधार विवरण और बैंक संबंधी डिटेल्स हड़पने की कोशिश कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश साइबर पुलिस ने इसे गंभीरता से लेते हुए नागरिकों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। पुलिस का कहना है कि ठग खुद को सरकारी अधिकारी या निर्वाचन विभाग का कर्मचारी बताकर कॉल करते हैं और SIR फॉर्म अपडेट करने के नाम पर ओटीपी, आधार नंबर, मोबाइल नंबर, बैंक खाता विवरण, फोटो, दस्तावेज़ या सोशल मीडिया यूज़र आईडी तक मांगते हैं।
एडवाइजरी में यह भी बताया गया है कि कई मामलों में ठग लोगों से मोबाइल में संदिग्ध एप या फाइल इंस्टॉल कराने की कोशिश करते हैं, जिससे डाटा चोरी का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
पुलिस ने स्पष्ट किया है कि कोई भी सरकारी विभाग या निर्वाचन आयोग कभी भी ओटीपी नहीं मांगता और न ही किसी थर्ड-पार्टी एप्लिकेशन को डाउनलोड करने का निर्देश देता है।
साइबर धोखाधड़ी होने पर क्या करें?
साइबर पुलिस ने नागरिकों को सतर्क रहने की अपील करते हुए कहा है कि यदि कोई व्यक्ति फोन पर धमकाए, दबाव डाले या निजी जानकारी मांगने की कोशिश करे, तो तुरंत इसकी शिकायत करें।
शिकायत के लिए आधिकारिक माध्यम
राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर: 1930
ऑनलाइन शिकायत पोर्टल: साइबर क्राइम पोर्टल (Government of India)
पुलिस ने नागरिकों को सलाह दी है कि किसी भी अनजान व्यक्ति के कहने पर कोई निजी जानकारी साझा न करें, किसी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें और न ही कोई अनजान एप डाउनलोड करें। साथ ही परिवार और परिचितों को भी जागरूक करें ताकि वे साइबर ठगी से सुरक्षित रह सकें।
