दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने स्लीपर बसों को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को आदेश दिया है कि सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने वाली सभी स्लीपर कोच बसों को तुरंत सड़कों से हटा दिया जाए।
आयोग ने यह कदम स्लीपर बसों से जुड़े लगातार बढ़ते हादसों और बड़ी संख्या में लोगों की मौत के मामलों को देखते हुए उठाया है।
हादसे जीवन के अधिकार का उल्लंघन: आयोग
भारत में स्लीपर बसें अक्सर रात को लंबी दूरी के लिए चलाई जाती हैं, लेकिन ओवरलोडिंग, खराब रखरखाव, तेज रफ्तार और सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण ये बसें दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बन रही हैं। आयोग ने कहा कि ऐसे हादसे संविधान के अनुच्छेद-21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन हैं।
इस वर्ष कई स्लीपर बस हादसों में हुई मौतों पर गंभीर चिंता जताते हुए NHRC ने सख्त रुख अपनाया है।
पहले भी दिए जा चुके हैं कई आदेश, लेकिन पालन कमजोर
आयोग ने बताया कि वर्ष 2024–25 में सड़क सुरक्षा से जुड़े कई दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, जिनमें
स्लीपर बसों में सीट बेल्ट अनिवार्य
CCTV कैमरों की व्यवस्था
ड्राइवरों की ट्रेनिंग
ओवरलोडिंग पर सख्त मॉनिटरिंग
स्टैंडर्ड मैन्युफैक्चरिंग
जैसे प्रावधान शामिल थे।
लेकिन राज्यों द्वारा इन नियमों का पालन न करने के कारण दुर्घटनाएं बढ़ती रहीं। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 में ही 200 से ज़्यादा लोग स्लीपर बस हादसों में जान गंवा चुके हैं, जिसके बाद NHRC ने इसे गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन माना है।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने भी 2024 में AIS-118 मानक लागू किए थे, लेकिन इनका पालन अधिकांश राज्यों में नहीं हो रहा।
