जबलपुर। प्रशासनिक फेरबदल का बोझ अब सीधे आम नागरिकों की जेब और समय पर पड़ रहा है। कलेक्ट्रेट में निपटने वाले एसडीएम और तहसील संबंधी कार्यों को रांझी कार्यालय शिफ्ट कर दिया गया है। नतीजतन, शहरवासियों को रोजाना 8 से 10 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा करनी पड़ रही है। ओमती और रांझी एसडीएम कार्यालयों को मर्ज करने के बाद स्टाफ पर भी काम का दबाव दोगुना हो गया है। परिणाम—लंबी कतारें, फाइलों में देरी और बढ़ती नाराज़गी।
जनता की सुनवाई बंद जैसी स्थिति
लोगों का कहना है कि पहले कलेक्ट्रेट में एक ही परिसर में सभी काम निपट जाते थे, लेकिन नई व्यवस्था ने आधा दिन सिर्फ अधिकारियों के चक्कर लगवाने में निकाल देना शुरू कर दिया है। जनता पुराने सिस्टम को बहाल करने की मांग कर रही है, लेकिन सुनवाई कहीं नहीं हो रही।
स्टाफ पर डबल लोड, फाइलें धीमी
ओमती और रांझी एसडीएम ऑफिस को एक ही परिसर में मर्ज किए जाने के बाद न सिर्फ काउंटरों पर भीड़ बढ़ गई है, बल्कि स्टाफ को भी दोहरी जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है। दोनों क्षेत्रों की फाइलें एक ही दफ्तर में आने से प्रोसेसिंग बेहद धीमी हो गई है।
करंजा, तिलहरी, भिटोली के ग्रामीण भी चक्कर में फंसे
रांझी क्षेत्र से जुड़े करंजा, तिलहरी, भिटोली और आसपास की बस्तियों के लोगों को भी अब लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। पहले नजदीकी कार्यालय से काम निपट जाता था, लेकिन अब हर माह हजारों लोग रांझी कार्यालय की ओर दौड़ रहे हैं, जिससे पार्किंग, टोकन और काउंटरों पर अव्यवस्था बढ़ गई है।
नई व्यवस्था से बढ़ा भ्रम
कई नागरिकों को यह तक नहीं पता कि अब कौन-सा काम किस सेक्शन में होता है। कलेक्ट्रेट की ‘एक छत के नीचे सभी सुविधा’ वाली व्यवस्था के उलट, अब लोगों को फाइल जमा करने से लेकर अधिकारी से मिलने तक हर कदम पर भटकना पड़ रहा है।
