जबलपुर। मध्यप्रदेश में बिजली एक बार फिर महंगी होने की आशंका बढ़ गई है। प्रदेश की तीनों बिजली वितरण कंपनियां आगामी वित्तीय वर्ष के लिए टैरिफ बढ़ाने की याचिका मप्र विद्युत विनियामक आयोग में दाखिल करने की तैयारी कर रही हैं। कंपनियों का कहना है कि कोयला, ट्रांसमिशन, पावर जनरेशन, मेंटेनेंस और बाहरी खरीद में लगातार बढ़ती लागत के कारण पुरानी दरों पर बिजली उपलब्ध कराना मुश्किल होता जा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में भी 1.65 प्रतिशत तक टैरिफ बढ़ाया गया था। इससे पहले कंपनियों ने 3.46 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव रखा था, जो लागू भी हुआ। इस बार भी कंपनियां लगभग 1537 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय की जरूरत का आधार रखते हुए नई दरों की मांग कर सकती हैं। घरेलू उपभोक्ताओं, किसानों और छोटे व्यापारियों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ सकता है।
उपभोक्ता, उद्योग और स्थानीय निकायों पर बढ़ सकता है बोझ
ऊर्जा कंपनियों के अनुसार खर्च लगातार बढ़ रहा है और राजस्व वसूली उतनी नहीं बढ़ पाई, जिस कारण टैरिफ संशोधन आवश्यक है। पिछले वर्ष घरेलू उपभोक्ताओं पर बिजली खर्च बढ़कर 6.40 रुपये से लेकर 8.71 रुपये प्रति यूनिट तक पहुँच गया था। अब एक बार फिर वृद्धि की आशंका से हर वर्ग चिंतित है।नगर निगम, नगर पालिका और अन्य स्थानीय निकायों को भी स्ट्रीट लाइट, पानी सप्लाई व अन्य सेवाओं के लिए बिजली महंगी पड़ सकती है। उद्योग जगत पहले ही बिजली को सबसे बड़ा खर्च मान रहा है और नई बढ़ोतरी होने पर उत्पादन लागत और बढ़ सकती है। उपभोक्ता संगठनों ने सरकार और आयोग से मांग की है कि कंपनियों की वित्तीय स्थिति की पारदर्शी जांच की जाए और अनावश्यक बढ़ोतरी रोकी जाए। अब आयोग की सुनवाई के बाद ही तय होगा कि प्रदेश की जनता पर महंगी बिजली का बोझ बढ़ेगा या राहत मिलेगी।
