जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण फैसले में ‘टॉप-10’ सूची की पुरानी व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है। अब किसी भी मुकदमे को प्राथमिकता के आधार पर टॉप-10 में शामिल नहीं किया जाएगा। यह प्रणाली उस समय लागू की गई थी, जब तत्कालीन एडमिनिस्ट्रेटिव जज अतुल श्रीधरन की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने कुछ जरूरी व संवेदनशील मामलों को अगले दिन सुनवाई हेतु सूची में ऊपर रखने के निर्देश दिए थे।
अब पूरी लिस्टिंग केवल CIMS के अनुसार
वर्तमान प्रशासनिक न्यायाधीश जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस प्रदीप मित्तल की डिवीजन बेंच ने इस व्यवस्था की समीक्षा करते हुए ‘टॉप-10’ सूची से संबंधित सभी पूर्व आदेशों को निरस्त कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अब से सभी मामलों की लिस्टिंग केस इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम (CIMS) के नियमों के अनुसार ही की जाएगी।
न्यायालय ने कहा कि यह निर्णय न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, एकरूपता और सुव्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
सुनवाई के दौरान उठाया गया मुद्दा
हाल ही में जस्टिस रुसिया की बेंच के समक्ष एक ऐसा मामला आया था, जिसमें पूर्व प्रशासनिक जज की बेंच ने अगली सुनवाई को ‘टॉप-10’ सूची में रखने के निर्देश दिए थे। मामला एक सेवानिवृत्त कर्मचारी द्वारा सेवा निवृत्ति लाभों से जुड़े विवाद का था।
सुनवाई के दौरान जस्टिस रुसिया ने स्पष्ट टिप्पणी की कि हाईकोर्ट जैसी संवैधानिक अदालत में मामलों को ‘टॉप-10’ में चिह्नित कर सुनवाई करना व्यावहारिक नहीं है और न ही यह न्यायिक रूप से उपयुक्त व्यवस्था मानी जा सकती है।
इसी आधार पर कोर्ट ने पुराने सभी निर्देशों को वापस लेते हुए लिस्टिंग व्यवस्था को पूरी तरह CIMS आधारित करने का आदेश जारी किया है।
