जबलपुर। जबलपुर के आईटी पार्क में संचालित चेन्नई की निजी आईटी कंपनी Flattrade और Madhya Pradesh State Electronics Development Corporation (MPSEDC) के बीच विवाद गहराता जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि कंपनी का “कसूर” सिर्फ इतना बताया जा रहा है कि उसने अपने कर्मचारियों के लिए साफ शौचालय, सुचारू लिफ्ट और न्यूनतम कार्य-सुविधाओं की मांग की थी। इन मांगों से नाराज़ आईटी पार्क प्रबंधन ने कंपनी को भवन खाली करने का नोटिस थमा दिया।
यह मामला सीधे तौर पर राज्य सरकार की उस नीति पर सवाल खड़े करता है, जिसके तहत स्थानीय युवाओं को अपने ही प्रदेश में रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आईटी पार्क स्थापित किए गए थे।
क्या है विवाद की जड़
MPSEDC की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि संबंधित कंपनी लगातार आईटी पार्क की आधारभूत संरचना और सुविधाओं को लेकर असंतोष जता रही है, जबकि अन्य कंपनियों ने ऐसी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई। इसी को आधार बनाकर कंपनी को स्थान खाली करने का निर्देश दिया गया है।
कर्मचारियों पर मंडराता खतरा
इस फैसले से कंपनी में कार्यरत 100 से अधिक स्थानीय युवाओं का भविष्य अधर में लटक गया है। कंपनी प्रबंधन का कहना है कि यदि हालात नहीं सुधरे तो कर्मचारियों को काम के लिए चेन्नई शिफ्ट करना पड़ेगा। ऐसे में कई युवाओं के लिए नौकरी बचाए रखना मुश्किल हो सकता है।
प्रदर्शन और गंभीर आरोप
नोटिस के विरोध में प्रभावित कर्मचारियों ने आईटी पार्क परिसर में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने आईटी पार्क प्रबंधन और मैनेजर निशांत मिश्रा पर आरोप लगाया कि समस्याओं का समाधान करने के बजाय शिकायत उठाने वालों को ही बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
युवाओं ने यह भी आरोप लगाए कि दूसरी कंपनियों को जगह देने के लिए कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
सवाल जो जवाब मांगते हैं
क्या बुनियादी सुविधाओं की मांग करना अपराध है?
और अगर ऐसा है, तो क्या आईटी पार्क वास्तव में स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का सुरक्षित ठिकाना बन पाएंगे?
फिलहाल यह विवाद सिर्फ एक कंपनी और प्रबंधन का नहीं, बल्कि Jabalpur के सैकड़ों युवाओं के भविष्य से जुड़ा बड़ा सवाल बन चुका है।
