इस दिन से शुरु है पौष का महीना, इस माह ‘ये’ काम भूलकर भी न करें, वरना झेलनी पड़ सकती हैं मुश्किलें



5 दिसंबर 2025 शुक्रवार से पौष माह की शुरुआत होने जा रही है। वहीं आगामी 3 जनवरी, 2026 शनिवार तक रहेंगी। हर साल मार्गशीर्ष माह की समाप्ति के साथ पौष माह की शुरुआत हो जाती है। धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से पौष का महीना सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है।

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, यह महीना को सूर्य देव की उपासना, पितृ तर्पण, दान-पुण्य और उपवास आदि के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि,इस महीने में सूर्य देव की उपासना, पितृ तर्पण, दान-पुण्य और उपवास आदि करने से व्यक्ति को ऐश्वर्य, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन इस महीने के कुछ ऐसे नियम और वर्जित काम हैं, जिन्हें इस महीने के दौरान नहीं करना चाहिए। आइए उन नियमों को जानते हैं।
पौष महीने में किन बातों का विशेष ध्यान रखें

पौष महीने में सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे धनु संक्रांति कहा जाता है। इस अवधि को खरमास भी कहते हैं।ऐसे में इस पूरे महीने में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, और नए व्यवसाय की शुरुआत जैसे सभी मांगलिक काम वर्जित माने जाते हैं।
मान्यता है कि खरमास में किए गए शुभ कार्यों का फल अच्छा नहीं मिलता है।
इस महीने में प्रतिदिन शरीर की तेल मालिश करने से बचना चाहिए।
इस माह तिल का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है।
इस दौरान नए अनाज का सेवन बिना देवताओं को भोग लगाए नहीं करना चाहिए।
इस माह अन्न का दान करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है।
पौष महीने में ठंडी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।
इस माह गुड़, अदरक, लहसुन और तिल का सेवन करना लाभकारी होता है।
इस माह प्रतिदिन सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए और पितरों का तर्पण करना चाहिए।
इस दौरान सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए और सूर्य देव के वैदिक मंत्रों का जप करना चाहिए।



जानिए पौष माह का महत्व

सनातन धर्म में पौष माह को सूर्य देव के साथ-साथ भगवान विष्णु और पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए भी उत्तम माना गया है। इस माह में आराधना व दान-पुण्य करने से साधक को धन, ऐश्वर्य और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। इसी के साथ सूर्य देव को रोजाना अर्घ्य देने से आपको करियर में उन्नति व लंबी आयु का भी वरदान मिलता है। इस माह में पूर्वजों की आत्मा की शांति के पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म आदि करना भी काफी शुभ माना जाता है।

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