जबलपुर। स्पेशल आर्म्ड फोर्स (SAF) की छठवीं बटालियन में 2 करोड़ रुपए से अधिक का ट्रैवलिंग अलाउंस (TA) घोटाला सामने आया है। खुलासा तब हुआ जब स्टेट फाइनेंस इंटेलिजेंस सेल की निगाह कुछ आरक्षकों के बैंक खातों पर पड़ी। संदिग्ध लेन-देन पकड़ में आते ही 20 आरक्षकों के खाते फ्रीज कर दिए गए और दो अलग-अलग जांच समितियाँ गठित कर दी गई हैं।
10 से शुरू होकर 25 नाम तक पहुँची जांच
घोटाले की शुरुआती सूची में 10–12 नाम थे, लेकिन जांच का दायरा बढ़ने पर इनकी संख्या बढ़कर 20–25 आरक्षकों व प्रधान आरक्षकों तक पहुँच गई। हैरानी की बात यह है कि इनमें से अधिकांश कर्मचारियों की नौकरी 5 से 7 साल के बीच की ही है, फिर भी उनके खातों में लाखों रुपए जमा मिले।
इसी दौरान आरक्षक अभिषेक झारिया के खाते में अकेले 55 लाख रुपए टीए के नाम पर जमा होने की पुष्टि हुई है।
दूसरे जिलों में ट्रांसफर हो चुके कर्मचारी भी घोटाले में शामिल
कई कर्मचारी ऐसे हैं जिनका तबादला दूसरे जिलों में हो चुका है, लेकिन उनके खातों में भी संदिग्ध रकम मिलने पर नोटिस जारी कर बुलाया जा रहा है।
कोष लेखा विभाग की रिपोर्ट जिला प्रशासन तक पहुँची, जिसके बाद कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने जिला पंचायत CEO अभिषेक गहलोत की अगुवाई में 6 सदस्यीय विशेष टीम बना दी है।
SAF कमांडेंट ने भी बनाई तीन सदस्यीय जांच समिति
कलेक्टर की टीम के समानांतर, SAF कमांडेंट सिद्धार्थ चौधरी ने भी तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। समिति अब तक 20 से अधिक आरक्षकों के बयान दर्ज कर चुकी है।
बाबू सत्यम शर्मा की भूमिका संदिग्ध, 50% हिस्सेदारी का लालच
जांच में यह तथ्य सामने आया है कि SAF का बाबू सत्यम शर्मा, आरक्षक अभिषेक झारिया के खाते में रकम ट्रांसफर करवाने का मुख्य कड़ी था।
बताया गया कि सत्यम 50% से अधिक की हिस्सेदारी का लालच देकर राशि अभिषेक के अकाउंट में ट्रांसफर कराता था। खुद के खाते में रकम न आने दें, इसके लिए वह कैश में हिस्सा लेता था ताकि जांच के घेरे में न आए।
200 गुना तक बढ़ी बैंक ट्रांजैक्शन, 12 आरक्षकों को 10 लाख से अधिक का भुगतान
स्टेट फाइनेंस इंटेलिजेंस सेल की छानबीन में पाया गया कि कुछ आरक्षकों के खातों में उनकी सैलरी से 200 गुना अधिक राशि जमा की गई।
सिर्फ टीए बिल के नाम पर ही 12 आरक्षकों के खातों में 10 लाख रुपए से अधिक की राशि डाली गई है।
जांच जारी, बड़ी कार्रवाई के संकेत
दोनों समितियाँ मामले की परतें खोलने में जुटी हैं। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार रिकॉर्ड, बिलों और बैंक स्टेटमेंट्स की क्रॉस-वेरिफिकेशन जारी है, और आने वाले दिनों में निलंबन व आपराधिक मामलों की कार्रवाई संभव है।
