जबलपुर के बरगी में 20 साल पुराने मकान पर बुलडोज़र, प्रशासन पर मनमानी के आरोप; जमीन रिकॉर्ड में गड़बड़ी का दावा, उच्चस्तरीय जांच की मांग

 


जबलपुर। बरगी क्षेत्र के मोज़ा खुर्सी में 20 साल पुराने एक मकान पर चले बुलडोज़र ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। मकान मालिक अशोक चंद्र झारिया ने तहसीलदार प्रदीप तिवारी, राजस्व निरीक्षक (आरआई) और पटवारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि बिना न्यायालयीन आदेश और बिना उचित प्रक्रिया अपनाए उनका मकान ढहा दिया गया।
‘354 वर्गफुट जमीन रिकॉर्ड से गायब कर दी गई’ – मकान मालिक का आरोप

श्री झारिया का कहना है कि उनके नाम पर लगभग 2500 वर्गफुट जमीन दर्ज है, जिसमें से 2100 वर्गफुट पर मकान निर्मित होने का रिकॉर्ड मौजूद है, लेकिन शेष 354 वर्गफुट जमीन mysteriously रिकॉर्ड से गायब कर दी गई—जबकि उसी हिस्से पर भी मकान बना हुआ था।
उनका आरोप है कि रिकॉर्ड दुरुस्त कराने के लिए वे वर्षों तक तहसील के चक्कर काटते रहे, लेकिन आरआई और पटवारी ने दस्तावेज़ संशोधन से बचते हुए मामले को लटकाए रखा। अंततः बिना किसी वैध आदेश के पूरा मकान ढहा दिया गया।
लंबित न्यायालयीन मामले के बावजूद कार्रवाई?

पीड़ित परिवार ने बताया कि मामला न्यायालय में लंबित है और इसकी जानकारी अधिकारियों को दी गई थी, फिर भी कार्रवाई रोकने के बजाय लगातार दबाव बनाया गया।
परिवार का दावा है कि तहसीलदार ने मौखिक रूप से बुलडोज़र चलाने का निर्देश दिया—जो प्रशासनिक नियमों और राजस्व प्रक्रिया दोनों का खुला उल्लंघन है।
जमीन सरकारी होने के दावे पर भी उठे सवाल

राजस्व निरीक्षक अरविंद विश्वकर्मा द्वारा इस जमीन को सरकारी भूमि बताने पर भी गंभीर सवाल उठे हैं।
स्थानीय लोगों और पीड़ित पक्ष का सवाल है:


अगर भूमि सरकारी थी, तो वर्षों तक उनसे दस्तावेज़ क्यों मांगे गए?


रिकॉर्ड जांच और नोटिस दिए बिना इतनी तात्कालिक कार्रवाई क्यों की गई?


354 वर्गफुट जमीन का रिकॉर्ड अचानक कैसे बदला?

पीड़ित परिवार का कहना है कि रिकॉर्ड में जानबूझकर गड़बड़ी कर मकान को अवैध दिखाया गया, ताकि कार्रवाई को जायज ठहराया जा सके।

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